लहरि रूम : मधुश्रावणी मुख्य रूप सँ बिहार केँ मिथिला क्षेत्रक लोक पर्व अछि | नव विवाहिता केँ विवाहक प्रथम वर्ष एहि व्रत पर विशेष आयोजन होइत अछि । मान्यता अछि जे एहि व्रत केँ पूजा केला सँ वैवाहिक जीवन मे प्रेम, सुख आओर समृद्धि बनल रहैत अछि | मधुश्रावणी व्रत के प्रति अधिकतम उत्साह आ उत्साह नव विवाहित कन्या मे देखल जाइत अछि | नवविवाहिता साओन मासक कृष्ण पंचमी केँ दिन सँ सावन शुक्ल तृतीया तक 14 दिन तक दिन मे मात्र एक बेर अरबा- अरबाईन संग अनुन भोजन करैत अछि | सामान्यतः एहि दिन मे नव विवाहिता अपन नइहर मे रहैत छथि आ प्रत्येक दिन संध्या काल सजि-धजि क’ अपन सखि – संग बाग बगीचा मे जा क’ नियमित रूप सँ साँझ मे फूल लोढ़ी क’ फूलक डाला सजबैत छथि । तखन दोसर दिन पिछुलका दिनक सजाओल डाला फूलक संग विषहर अर्थात नागवंशक पूजा करैत छथि | एहि पाबनिक लेल नव विवाहिता लेल नव वस्त्र, शृंगारक सामान आओर पूजाक ओरियान नव विवाहिता केँ सासुर सँ अबैत छनि।
‘मधुश्रावणी’ पावनि साओन मासक शुक्ल तृतीया केँ दिन समाप्त होइत अछि | एहि समस्त पावनि मे 14 दिनक अलग-अलग कथा अछि जाहि मे मधुश्रावणी दिवसक रोचक कथा राजा श्रीकर आ हुनक बेटीक अछि |