राँची/ आब अहां चंदन के खेती सेहो कए सकैत छी। एकर खेतीसँ करोड़ो टाका अर्जित कयल जा सकैत अछि। चन्दनक गाछ चारि प्रकारक होइत अछि। एहिमे उज्जर चन्दन, लाल चन्दन, नाग चन्दन आ मोर चन्दन सम्मिलित अछि। ओना, लाल चन्दनक सबसँ बेसी माँग अछि। विदेशमे सेहो एकर बहुत माँग अछि, मुदा एकरा अतिरिक्त अन्य प्रकारक चन्दनक गाछ लगा कऽ सेहो नीक लाभ अर्जित कयल जा सकैत अछि।
एहि गाछक खेती कऽ किसान सोझे करोड़पति बनि रहल छथि। आइ-काल्हि खेतीमे बहुत रास नव तकनीक आ विधिक उपयोग कयल जा रहल अछि। जतय देशक किसान पहिने मात्र पारम्परिक खेती पर निर्भर छलाह, आब किसान समयक संग आगू बढ़ि मजबूत मुनाफा कमा रहल छथि। किसानक झुकाव एहन फसिल दिस भऽ गेल अछि जे नीक लाभ दैत अछि।
चंदनक गाछक खेती। एहि खेतीक बेसी भाग दक्षिण भारतक राज्यमे कयल जाइत अछि, मुदा धीरे-धीरे ई खेती आन राज्यमे सेहो शुरू कयल जा रहल अछि। चन्दनक खेतीमे गर्म जलवायुक सङ्ग-सङ्ग दोमट माटि सेहो होयबाक चाही। जमीनक पीएच ४.५ सँ ६.५ होयबाक चाही। एहि गाछसभकेँ रोपबाक सबसँ नीक समय मईसँ जून धरि होइत अछि। ई पौधा कोनो नर्सरीमे आसानी सँ पाओल जाइत अछि।
सबसँ पहिने अहां के रोपबाक लेल पौधक व्यवस्था करय पड़त। एकरा बाद खेत के हल लगाउ आओर माटी के ठंढा बनाउ। एकर बाद माटि करय पड़त आ ओहिमे पौधा लगाबय पड़त। गड्ढा बना कए रोपाई करए पड़त। रोपाइक बाद गड्ढासभकेँ खादसँ भरि दियौक। ध्यान राखू जे गाछक चारू कात उचित जल निकासी प्रणाली अछि। बहुत बेसी पानि सं पौधा खराब भए जाइत अछि।
एहि खेतीमे समय लगैत अछि मुदा ई गाछ जतेक पुरान होयत, ओतेक बेसी लाभ होयत। चन्दनक पौधा रोपाइक लेल १०० रुपैयामे आसानी सँ उपलब्ध होइत अछि। जकरा लगभग दससँ पन्द्रह सालक बाद लगभग २ लाख रुपया वा ओहिसँ बेसी दाम पर बेचल जा सकैत अछि। जँ अहाँ अपन खेतमे १०० चन्दनक गाछ लगा रहल छी तँ १५ सालमे दू करोड़ टाकासँ बेसी लाभ कमा सकैत छी।