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Friday, August 22, 2025
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Homeसभ्यता एवं संस्कृतिकनक सिंह धामीक बहिन बचिया सलहेसक सहायतासँ दीना आ भदरीकेँ मारवैलक

कनक सिंह धामीक बहिन बचिया सलहेसक सहायतासँ दीना आ भदरीकेँ मारवैलक

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गौतम चौधरी

दीना आ भदरी दूटा भाइ छलाह। हम पहिनेसँ बता देब जे ई लोककथा बिहारमे पाओल जायवला मुसहर जातिसँ सम्बन्धित अछि। दीना-भदरीक पिताक नाम कालू सदा आ माताक नाम निरसो छल। दुनू भाय अपन माता-पितासँ बहुत प्रेम करैत छलाह। दीनाक पत्नीक नाम रोदना आ भदरीक पत्नीक नाम सुधाना छल। किछु ठाम दुनूक नाम हंसा-संझा सेहो कहल गेल अछि। दरअसल, बिहारमे उपनाम रखबाक परम्परा पुरान अछि। ई दुनू क’ उपनाम सेहो भऽ सकैत अछि।

दुनू भाय अपन पत्नीसँ बहुत प्रेम करैत छल आ हुनका सभकेँ घरसँ बाहर मजदूरक रूपमे काज करबाक लेल नहि पठबैत छलाह। ओ सभ स्वयं दिन भरि जंगलमे शिकार करैत छलाह, भोजन अनैत छलाह, मुदा अपन माता-पिता आ पत्नीकेँ मजूरीक लेल काज नहि करय दैत छलाह। एहि ठाम ओहि दिनक जबरदस्ती काम करवाबे के जानकारी देनाई जरूरी अछि। एहि प्रकारक काज के ओहि समय बेगार कहल जाइत छल। कोनो मकान मालिक वा व्यापारीक सङ्ग बिना मजदूरीक काज करबक नाम बेगर कहल जाति छल। बदला मे ओ ओकरा किछु भोजन दैत छल। कहल जाइत अछि जे ओ दुनू भाय बहुत बहादुर छलाह। अस्सी मनक धनुष आ चौरासी मनक तीर सदिखन हुनक काँधपर लटकल रहैत छल। कोनो लोककथामे एहन अतिरेक कतेको ठाम भेटैत अछि।

दीना आ भदरी जाहि शहरमे रहैत छलाह ओकर नाम जोगिया नगर राखल गेल छल। ओहि नगरक राजा कनक सिंह धामी छलाह। ओ बहुत अत्याचारी आ निरंकुश छलाह आ अपन राज्यमे रहनिहार लोकसभकेँ बेगार बनबैत छलाह। जे बेगारी नहि करैत छल, राजा ओकरा पर अत्यधिक अत्याचार करैत छलाह।

राजा कनक सिंह धामीक बचिया नामक एकटा बहिन छलीह। बचिया नखरा मे माहिर छलीह। दीना-भदरीकेँ अपमानित करबाक लेल ओ अपन राजा भायक सङ्ग कल्हवाकर शहरमे एकटा पोखरि खोदि अपन जादूक बलपर नाग प्रजातिक एकटा जोड़ी राखि देलनि, जकरा तिरहुतमे पनियादरार अर्थात पनियादराज कहल जाइत अछि। एहि तरहेँ जे कियो ओहि पोखरिमे स्नान करय लेल अबैत छल, पानिक दरार ओकरा काटैत छल।

एतेक धरि जे शहरक जानवर सेहो ओहिमे पानि पीबय जाइत छलाह तखन ओकरा ओ नाग-नागिन काटि लैत छल। धीरे-धीरे ई पोखरा शहरक जानवरक शवसँ भरि गेल आ ओहिसँ दुर्गन्ध निकले लागल। तखन शहरक लोक ओहि समस्यासँ छुटकारा पाबय लेल दीना-भदरी के बजौला। शहरक लोकक आग्रह पर दुनू भाइ पोखरिसँ जानवरक सभटा मृत शरीर निकालि देलनि, जाहिसँ शहरक लोककेँ राहत भेटल।

बचिया एहि घटना सँ बहुत अपमानित महसूस केलखिन। ओ दीना-भदरीकेँ सबक सिखयबाक षड्यन्त्र करय लगलीह। ओ अपन भाय राजा कनक सिंह धामीकेँ दीना-भदरी बेगार बनयबाक लेल उकसाओलनि। राजा अपन चौर बरेलामे सभटा प्रजाकेँ बेगारीमे खेती करबाक आदेश देलनि। भोर होइत सभ स्त्री-पुरुष बेगार करबाक लेल चौर बरेला पहुँचलाह। एतय धरि कि परसौती महिलासभकेँ सेहो अपन स्तनपान करयवला बच्चाक संग बेगार करय लेल मजबूर कयल गेल।

जखन लोक बेगार कऽ रहल छल तखन ओ बचिया अपन मंत्रक प्रभावसं वृद्ध महिलाक भेषमे ओतऽ पहुंचल आ बरबराए लागल। एतऽ हलवालाक सङ्ग दूटा युवा कुदाल चलयवला लोकनिकेँ सेहो बजाओल जायवाक चाही। बुढ़िया रूप बचिया कहलक यदि कालू सदा के बेटा दीना-भदरी के जोगिया नगर सं बुला लेल जाए तऽ ई काज नीक जकां भऽ सकयत अछि। कियाक तऽ ओ बेसी मजबूत छथि। बुढिया रूप बचिया ई कहि ओत सं चलि गेल।

एम्हर कनक सिंह धामी चौर बरेला पहुँचौत छथि जतय हलवाहा हुनका बुढ़िया द्वारा कयल गेल उपहासक विषयमे कहैत छथि। हलवालाक बात सुनि क्रोधित राजा बारह गोट हथेलीक छड़ी लऽ कऽ दीना-भदरीक घर पहुँचौत छथि। दीना-भदरीक माय निरसो चानन गाछक नीचा बैसि सेइकीक टोकरी बना रहल छलीह।

कनक सिंह निरसोसँ पूछैत छथि जे अहाँक बेटा कतए अछि? निरसो भय सं चुप रहैत अछि। निरसोक मौनसँ हताश राजा कनक सिंह हुनका अपन बारह पसेरी जूतासँ मारैत छथि, जाहिसँ निरसो मुँहभरि खसि पड़ैत छथि आ जोरसँ कराह कराहे लगली। उत्तर नहि पाबि राजा कनक सिंह दीना-भदरीक खोजमे आगू बढ़ि जाइत छथि।

दीना-भदरी तखन घरमे सुतल छलीह। भदरी अपन सपनामे देखैत छथि जे हुनकर माय जोरसँ कानि रहल छथि। ओ हड़बड़ाइत उठैत छथि आ दीनाकेँ सेहो जगा दैत छथि। दुनू गोटे अपन मायकेँ देखबा लेल गाछ लग जाइत छथि आ देखैत छथि जे ओ जोरसँ शोक कऽ रहल छथि। निरसो पूरा बात दीना-भदरीकेँ कहैत छथि, जे दुनू भायकेँ क्रोधसँ भरि दैत अछि।

तखन हुनक नजरि राजा कनक सिंह पर पड़ैत अछि जे ओतयसँ जा रहल छलाह। ओ सभ दौड़ैत छथि आ जाइत छथि आ राजाक पीठ पर लात मारैत छथि आ हुनक पैर आ गर्दनि पर प्रहार करैत छथि। तखन कनक सिंह अपन जेबसँ एकटा जादूक किताब निकालैत छथि आ सबरमंतर (एक प्रकारक जादू) पढ़य छथि मुदा एहि सँ पहिने जे ओ अपन जादूसँ दीना-भदरी पर हमला कऽ सकथि, दुनू भाइ हुनका पर हमला कऽ दैत छथि। कोनो विकल्प नहि देखैत राजा कनक सिंह ओतयसँ भागि जाइत छथि। एकर बाद दीना-भदरी चौर बरेला गला आ काज रोकवा देला। ई दुस्साहस सं राजा और पिता गेल।

अब बचिया और खूंखार भऽ गेल। दीना आ भदरीकेँ मारबाक इरादासँ बचिया तखन राजा सलहेस आ दीना-भदरीक आराध्य देवीकेँ छल कऽ वचन लऽ लेलक। राजा सलहेस आ देवी बहोसरीकेँ जखन पता चलैत अछि जे बचिया दीना-भदरीकेँ हुनक हाथसँ मारबाक शपथ लेलनि अछि, तखन दुनू गोटे बड्ड दुखी भऽ जाइत छथि।

चूँकि दुनू गोटे प्रतिज्ञा कयने छलाह, दुनू अनजाने दीना-भदरीक हत्याक षड्यंत्रमे शामिल भऽ गेलाह। देवी बहोसरी दुनू भायकेँ सपनामे कहैत छथि जे कटैया खाप नामक जंगलमे एकटा सुग्गर मृत पड़ल अछि। दुनू भाय ओहि जंगलमे जयबाक लेल उत्सुक छथि। माँ निरसोकेँ ननिहाल पठौलाक बाद आ मामा बुहरानकेँ सङ्ग लऽ कऽ दीना-भदरी कटैया खाप दिस प्रस्थान करैत छथि। जंगलमे बहुत तकलाक बादो हुनका सुग्गर नहि भेटैत अछि।

बुहरान गाछपर चढ़ैत देखैत अछि जे दूरसँ एकटा बच्चा हरिण अछि। दुनू भाय बच्चाक लग जाइत छथि, तखन हरिणक बच्चा बाघ बनि जाइत अछि आ दीना-भदरीसँ ओकर झगड़ा शुरू भऽ जाइत अछि। एक-एक कऽ सभ तीर समाप्त भऽ जाइत अछि मुदा युद्ध समाप्त नहि भऽ रहल अछि। अन्तमे दुनू भाय बाघसँ शारीरिक झगड़ा शुरू करैत छथि आ बाघक शरीरकेँ दू भागमे काटि दैत छथि। तखन राजा साल्हेस ओतय सियारक रूपमे प्रकट होइत छथि आ बाघक विभिन्न शरीरकेँ एकजुट करैत छथि, जाहिसँ बाघ जीवित भऽ जाइत अछि।

सात दिन आ सात राति धरि युद्ध होइत अछि जाहिमे बाघ जीतैत अछि, दीना-भदरी मारल गेला। दुनू भायक शव जंगलमे पड़ल छल, ओतय कोनो अंतिम संस्कार करै वाला नहि छल। अन्तिम संस्कारक अनुपस्थितिमे दुनू भाइ आत्मा बनि जाइत छथि आ अपन अन्तिम संस्कारक तैयारी शुरू कऽ दैत छथि। दुनू भाय मनुष्यक वेश धारण करैत मुसहरक इलाका एकौशी पहुँचौत छथि आ इलाकाक लोकसभकेँ जंगलमे पड़ल दीना-भदरीक शवक दाह संस्कार करबाक प्रस्ताव दैत छथि।

एकौशीक लोक दीना-भदरीक प्रस्तावकेँ अस्वीकार करैत छथि। तखन दीना-भदरी फकीरक भेषमे अपन गाम पहुँचौत छथि आ एकटा वनिककेँ पूरा कथा सुनाबैत छथि। ओकर बाद कफन आ अन्य दाह सामग्रीक व्यवस्था कयल जाइत अछि, दाह संस्कार कयल जाइत अछि आ फेर भोजक आयोजन कयल जाइत अछि।

दीना-भदरी आत्मा बनलाक बाद कतेको छोट-छोट कथा जोड़ल जाइत अछि। लोककथाक अनुसार, दाह संस्कारसँ पहिने दीना-भदरी प्रेत योनीमे समाजक भलाई लेल कतेको लड़ाई लड़ैत अछि आ बुराईक विरुद्ध हुनकर संघर्ष तेज भऽ जाइत अछि। एहि तरहेँ ओ पहिने बचियाक पीछा करैत छथि। बाचिया दीना-भदरीसँ भागबाक लेल कोशीक पार दौड़य चाहैत छथि, मुदा दीना-भदरी ओकरा पकड़ि लैत छथि आ तलवारसँ ओकर गर्दन काटि दैत छथि। ओकर बाद ओ सभ राजा कनक सिंह धामी ओत पहुँचौत छथि आ लड़ैत छथि आ राजा आ हुनक रानीकेँ मारैत छथि।

एहि तरहेँ दीना आ भदरीक कथा तिरहुतक लोकसभकेँ सुनाओल गेल अछि। एहि कथासँ कोनो समाज विशेषक लोक अपन पूर्वजकेँ स्मरण करैत छथि आ अतीतमे सामन्तलोकनि द्वारा कयल गेल उत्पीड़नकेँ स्मरण करैत छथि। एहि तरहेँ तिरहुतमे १६ टा लोककथा अछि। ई सभ लोककथा दलित आ पिछड़ल समाजसँ सम्बन्धित अछि।

एहि कथासभमे संघर्षक सङ्ग-सङ्ग ओहि दिनक सामाजिक आ सांस्कृतिक प्रकृतिकेँ सेहो चित्रित कयल गेल अछि। एहि कथासभमे दलितक स्थिति आ समाजमे असमानताक चर्चा सेहो कयल गेल अछि। ई लोककथा सभ गीतात्मक छथि आ जे एकरा गबैत छथि ओ एकरा बहुत रोचक तरीकासँ प्रस्तुत करैत छथि। जँ कियो एहि कथासभकेँ ठीकसँ गबैत अछि आ एहि शैलीक अनुसार ओकर व्याख्या प्रस्तुत करैत अछि, तखन ई आम लोककेँ सेहो एहि दिस आकर्षित करैत अछि। आइ-काल्हि एहन लोक गायकक कमी भऽ अछि।

(हमर गामक आ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टीक पूर्व शाखा सचिव स्वर्गीय रामजी दास मुसहर द्वारा सुनाओल गेल कथा पर आधारित।)

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