चैत्र मास सनातन धर्म केँ लेल विशेष महत्वपूर्ण होइत जा रहल अछि। एहि मास शुक्लपक्ष केँ प्रतिपदा सँ हिन्दू नव वर्ष केँ प्रारम्भ होइत अछि। एहि दिवस पर सब सनातनी विक्रम संवत वर्ष केँ प्रारंभिक दिवस सेहो हर्षोलास केँ संग मनबैत आबि रहल छथि। पिछला किछु दशक सँ चैत्र नव रात्राक सेहो उपासक बढ़ी गला अछि। शुक्लपक्ष केँ प्रतिपदा तिथि सँ घर मे कलश स्थापना सेहो करैत छथि, प्रत्येक शहरि मे मूर्ति स्थापना सेहो होमय लागल अछि। एहि मास मे व्रती लोकनि द्वारा छठि केँ पूजन केँ आयोजन विधिवत होइत अछि। शुक्लपक्ष केँ चतुर्थी तिथि सँ सप्तमी तिथि तक छठि पूजाक अनुष्ठान होइत अछि। भारत केँ मूलवासी आदिवासी समाज केँ द्वारा प्रकृति केँ लोकपर्व ‘सरहुल’ सेहो चैत्र मास मे मनाओल जाइत अछि। भारतक संविधान मे धर्मनिरपेक्षता मूलमंत्र अछि, एहि अनुसार चैत्र मास मे मुस्लिम समाजक प्रसिद्ध पाबनि ‘ईद’ सेहो मनाओल जायत। मिथिला क्षेत्र केँ मैथिलक बंगाल क्षेत्र केँ बंगाली सभहक़ द्वारा 14 आ 15 अप्रैल क’ प्रत्येक वर्ष नव वर्ष केँ स्वागत कयल जाइत अछि। एहि बेर नव वर्ष 14 अप्रैल क’ मनाओल जाइत अछि। मैथिल द्वारा ‘जुड़शीतल’ आओर बंगाली बंधु लोकनि द्वारा ‘पोइला बोइशाख’ पर्वक आयोजन होइत अछि। मैथिल केँ ‘जुड़शीतल’ पाबनि आब बस विध केँ रूप मे मनबैत छथि। मुदा बंगाली सभ्यता सँ जुड़ल लोकनि द्वारा ‘पोइला बोइशाख’ पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, झारखंड आओर असम मे हर्षोलास केँ संग मनाओल जाइत अछि। सनातन शास्त्र केँ मतानुसार त्रेता युग केँ मर्यादा पुरषोत्तम, सूर्यवंशी, भगवान विष्णु केँ सातम अवतार, मिथिलाक पाहून प्रभु श्रीराम केँ जन्म चैत्र मास केँ शुक्ल पक्ष केँ नवमी तिथि क’ भेल अछि, एहि कारण सँ सम्पूर्ण भारत वर्ष एहि तिथि केँ बड हर्षोलासक संग मनबैत अछि। अयोध्या मे राममंदिर केँ पुनर्निर्माण केँ कारण सँ एहि बेरक श्रीराम नवमी सनातन धर्मावलम्बी लोकनिक लेल विशेष महत्व राखैत अछि। एहि बेर आंग्ल वर्ष 2024 मे 17 अप्रैल क’ रामनवमी मनाओल जायत। शास्त्र केँ मत अछि विष्णु अवतार श्रीराम केँ जन्मक उपरांत चैत्र मास केँ शुक्ल पक्ष केँ पूर्णिमा तिथि क’ भगवान विष्णु केँ आराध्य भगवान महादेव केँ अवतार श्री हनुमान केँ भेल छनि। आंग्ल वर्ष 2024 मे श्रीहनुमान जयंती 23 अप्रैल क’ मनाओल जायत।
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