लखनऊ/ योगी आदित्यनाथ सरकार मंगलदिन उत्तर प्रदेश विधानसभामे लव जिहाद रोकबाक लेल आजीवन कारावासक प्रावधान करबाक लेल विधेयक पेश कयलनि। एकर बाद विधेयक बहुमतसँ पारित भऽ गेल।
ई विधेयक पारित भेलाक बाद जँ कियो एहि मामलामे शिकायत करैत अछि आ जाञ्चमे आरोप सिद्ध भऽ जाइत अछि तखन ओकरा आजीवन कारावासक सजा देल जा सकैत अछि। विधानसभामे पारित लव जिहाद विधेयकमे बहुत रास नव अपराधक धारा सेहो जोड़ल गेल अछि।
एहि विधेयकक नाम उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धार्मिक रूपांतरण निषेध (संशोधन) विधेयक राखल गेल अछि। एखन धरि देश भरिक १० राज्यमे धर्मांतरण विरोधी वा लव जिहाद कानून लागू कयल जा चुकल अछि। मुदा, एहि विधेयककेँ पारित होयबासँ पहिने एकर विरोध भेल छल।
एहि मामलामे किछु लोक कहलनि जे राज्यमे नव कानूनक आवश्यकता नहि अछि। लव जिहादक संबंधमे पहिल कानूनक पालन होयबाक चाही।
संशोधित विधेयकमे गलत तरीकासँ धर्मांतरण आ अवैध विवाह आ उत्पीड़नक दोषी लोकसभकेँ एकटा महिलाकेँ जालमे फँसाकऽ अधिकतम आजीवन कारावासक सजा देबाक प्रावधान अछि। पहिने अधिकतम १० सालक सजा देबाक प्रावधान छल।
संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना सोमदिन सदनमे पहिल दिन उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धार्मिक रूपांतरण निषेध (संशोधन) अधिनियम, २०२४ पेश कयलनि। ई प्रस्ताव देल गेल अछि जे कोनो व्यक्ति ककरो धर्मांतरण या षड्यंत्र करबाक, कोनो महिला, नाबालिग या ककरो तस्करी करबाक इरादासँ ककरो धमकी देब, हमला करब, विवाह करब या विवाह करबाक वचन देत, ओकर अपराध सबसँ गम्भीर मानल जायत।
संशोधित अधिनियममे २० साल धरि कारावास वा आजीवन कारावासक प्रावधान अछि। पहिल बेर विधेयकक रूपमे पारित भेलाक बाद जखन ई कानून बनल, तखन एहिमे अधिकतम १० सालक सजा आ ५०,००० रुपैयाक जुर्मानाक प्रावधान छल।
संशोधित प्रावधानक अन्तर्गत ई व्यवस्था देल गेल अछि जे आब कोनो व्यक्ति धर्म परिवर्तनक मामलामे प्राथमिकी दर्ज कऽ सकैत अछि। पहिने मामलाक जानकारी या शिकायत देबाक लेल पीड़ित व्यक्ति, ओकर माता-पिता, भाई-बहिन होयब आवश्यक छल, मुदा आब एकर दायरा बढ़ा देल गेल अछि। आब कियो पुलिस के लिखित रूप मे सूचित कए सकैत अछि।
संशोधित मसौदामे ई प्रस्ताव देल गेल अछि जे एहन मामिलाक सुनवाई सत्र न्यायालयक नीचा नहि कयल जायत आ सरकारी अभियोजककेँ अवसर देल बिना जमानत आवेदनपर विचार नहि कयल जायत। प्रस्तावित मसौदाक अन्तर्गत सभ अपराधकेँ गैर-जमानती बना देल गेल अछि।
उत्तर प्रदेशक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लव जिहाद पर अंकुश लगेबाक उद्देश्यसँ ई पहल कयलनि। नवंबर २०२० मे एकरा लेल अध्यादेश जारी कयल गेल छल आ बादमे उत्तर प्रदेश विधानमण्डलक दुनू सदन द्वारा विधेयक पारित भेलाक बाद उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धार्मिक रूपांतरण निषेध अधिनियम-२०२१ केँ कानूनी मान्यता भेटल।