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Friday, August 22, 2025
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Homeटटका खबरिसरस्वती पूजा 3 फरवरी मंगल दिन होयत : आउ जानि पूजन विधी

सरस्वती पूजा 3 फरवरी मंगल दिन होयत : आउ जानि पूजन विधी

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लहरि रूम (रांची ) : सरस्वती पूजा बसंत पंचमी 3 फरवरी मंगल दिन देश भरि मे मनाओल जा रहल अछि। प्रत्येक वर्षक भांति माघ मास के शुक्ल पक्ष के पंचमी तिथी क’ श्रद्धालु सब आस्था आ विश्वास के संग विद्या आ ज्ञान के देवी माँ सरस्वती के पूजा – अर्चना करैत छथि | बसन्त पंचमी के दिन भगवती कें पूजा विशेष आ फलदायी मानल जाइत अछि | अगर अहां सभ सेहो एहि अवसर पर देवी सरस्वती के पूजा करय चाहय छी तं सरस्वती पूजा के मंत्र के संग एकर विधि सेहो अहां सभ के विस्तार सं बताओल जा रहल अछि :
माँ सरस्वती पूजन विधी आरम्भ

देवी सरस्वती के पूजा स्थल कें सर्वप्रथम गंगाजल सँ शुद्ध करबाक चाही | देवी सरस्वती केँ मूर्ति या चित्र सामने राखि क’ ओकरा सामने धूप-दिप अगरबत्ति ,सरर – गुग्गुल आदि जरेबाक चाहि ताकि वातावरण मे सकारात्मक ऊर्जा के संचार होय ।एकर बाद मंत्र के माध्यम सँ पूजा सामग्री आ अपना के शुद्ध करबाक चाही ।

अहि मंत्र सँ स्वयं , पूजन स्थल , सामग्री एवं आसन शुद्ध करबाक चाही
“ऊं अपवित्र: पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि:॥”

एहि मंत्रक उच्चारण सँ कुश वा पीयर फूल केँ 3 बेर अपना पर आ आसान पर छिड़कि दियौक आ फेर मंत्र पढ़ैत आचमन करी –
ऊं केशवाय नम:, ऊं माधवाय नम:, ऊं नारायणाय नम:, पुनः हाथ धोई , पुन: आसन शुद्धि मंत्र पढ़ी –
ऊं पृथ्वी त्वयाधृता लोका देवि त्यवं विष्णुनाधृता। त्वं च धारयमां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥

मस्तक पर चंदन लागबी । अनामिका सँ सँ श्रीखंड चंदन लगबैत समय मंत्र केँ जाप करी |
‘चन्दनस्य महत्पुण्यम् पवित्रं पापनाशनम्, आपदां हरते नित्यम् लक्ष्मी तिष्ठतु सर्वदा।’

हाथ मे तिल, फूल, मिठाई आ फल ल’ क’ माँ भगवती सरस्वती कें पूजनार्थ संकल्प करी
‘यथोपलब्धपूजनसामग्रीभिः माघ मासे बसंत पंचमी तिथौ भगवत्या: सरस्वत्या: पूजनमहं करिष्ये।’

एहि मंत्रक जाप करैत देवी सरस्वतीक समक्ष हाथ मे राखल सामग्री राखू |

सर्वप्रथम भगवान गणेश के पूजा

फूल लऽ कऽ भगवान गणेशक ध्यान करी आ मंत्र पढ़ी
गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्।
हाथ मे अक्षत ल’ भगवान गणेश क’ आह्वान करी
‘ऊं गं गणपतये इहागच्छ इह तिष्ठ।।
ई कहि अक्षत केरा केँ पात पर राखि दी ।
पंचपात मे सँ अरघा सँ जल लऽ कऽ मंत्र पढ़ी
एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम् ऊं गं गणपतये नम:।
भगवान गणेश केँ रक्त चंदन आओर श्रीखंड चन्दन अर्पित करबाक हेतु
इदम रक्त चंदनम् लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:
तहिना श्रीखंड चन्दन कहि एकर बाद सिंदूर चढ़ाउ “इदं सिन्दूराभरणं लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:। भगवान गणेश कें दुभि (दुर्वा) एवं बिल्वपत्र अर्पित करें | भगवान गणेश के पियर वस्त्र अर्पित करे |
इदं पीत वस्त्रं ऊं गं गणपतये समर्पयामि। भगवान गणेश कें गठियाल जनेऊ अर्पित करी
प्रसाद अर्पित करबाक हेतु मन्त्र पढ़ी “इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं गं गणपतये समर्पयामि:। मधुर मिष्ठान चढ़ेबाक हेतु मंत्र पढ़ी ” इदं शर्करा घृत युक्त नैवेद्यं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:।”

प्रसाद अर्पित केलाक बाद आचमना करी
इदं आचमनयं ऊं गं गणपतये नम:।
एकर बाद पान -सुपारी चढ़ाउ
इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:।
आब एकटा फूल लऽ कऽ गणपति केँ चढ़ा कऽ कहब
एष: पुष्पान्जलि ऊं गं गणपतये नम:
जहिना भगवान गणेशक पूजा कैल तहिना भगवान सूर्य आ नव ग्रहक पूजा करी| एतय गणेशजीक स्थान पर नौ ग्रहक नाम ली।
सरस्वती पूजा कलश क’ पूजा विधि :
माटिक कलश आ पितरिया लोटा पर पवित्र सूत बान्हि कए बर्तनक ऊपर आमक पात राखि दियौ । कलश के भीतर सुपारी, दूरवा, अक्षत, आ सिक्का राखू। कलशक गरदनि मे मोली लपेटि दियौक। नारियल के कपड़ा मे लपेटि कऽ कलश पर राखि दियौ । हाथ मे अक्षत फूल ल’ क’ कलश मे भगवान वरुण के आह्वान करू :
ओ३म् त्तत्वायामि ब्रह्मणा वन्दमानस्तदाशास्ते यजमानो हविभि:। अहेडमानो वरुणेह बोध्युरुशंस मान आयु: प्रमोषी:। (अस्मिन कलशे वरुणं सांगं सपरिवारं सायुध सशक्तिकमावाहयामि, ओ३म्भूर्भुव: स्व:भो वरुण इहागच्छ इहतिष्ठ। स्थापयामि पूजयामि॥)
एकर बाद जेना भगवान गणेश के पूजा केने रही तहिना वरुण आ इन्द्रादि देवता के पूजा करू |
सरस्वती पूजन ध्यान मंत्र –
या कुन्देन्दु तुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा।।
शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमांद्यां जगद्व्यापनीं।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यांधकारपहाम्।।
हस्ते स्फाटिक मालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्।।

देवी सरस्वती की प्रतिष्ठा मंत्र
दायाँ हाथ मे अक्षत ल’ क’ मंत्र पढ़ी
“ॐ भूर्भुवः स्वः सरस्वती देव्यै इहागच्छ इह तिष्ठ:। अहि मंत्र केँ पढ़ि अक्षत मुर्ति आ तस्वीर लग छोड़ी दी । अहि केँ बाद हाथ मे जल ल’ क’
‘एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम्।”
प्रतिष्ठा के बाद स्नान कराबी :
ॐ मन्दाकिन्या समानीतैः, हेमाम्भोरुह-वासितैः स्नानं कुरुष्व देवेशि, सलिलं च सुगन्धिभिः।। ॐ श्री सरस्वतयै नमः।।
इदं रक्त चंदनम् लेपनम्
कहि रक्त चंदन लगाबि । इदं सिन्दूराभरणं सँ सिन्दूर लगाबि ।
ॐ मन्दार-पारिजाताद्यैः, अनेकैः कुसुमैः शुभैः। पूजयामि शिवे, भक्तया, सरस्वतयै नमो नमः।। ॐ सरस्वतयै नमः, पुष्पाणि समर्पयामि।’
अहि मंत्र सँ पुष्प चढ़ा क’ माला पहिराबी ।
देवी सरस्वती केँ – इदं पीत/श्वेत वस्त्रं समर्पयामि कहि पीला आ उज्जर वस्त्र पहिराबी । नैवैध अर्पित करबाक लेल
“इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं सरस्वतयै समर्पयामि” मंत्र सँ नैवैद्य अर्पित करी ।
देवी सरस्वती कें मधुर मिष्ठान अर्पित करबाक लेल : “इदं शर्करा घृत समायुक्तं नैवेद्यं ऊं सरस्वतयै समर्पयामि” मंत्र कहि प्रसाद अर्पित करी ।
नैवैध अर्पित करबाक बाद आचमन करी ।
इदं आचमनयं ऊं सरस्वतयै नम:।
देवी सरस्वती को पान सुपारी भेंट करी :
इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं सरस्वतयै समर्पयामि।
एकटा पुष्प ल’ क’ सरस्वती देवी पर अर्पित करैत पढ़ी
एष: पुष्पान्जलि ऊं सरस्वतयै नम:।
अहि कें बाद एकटा पुष्प ल’ क’ चन्दन आ अक्षत लगा क’ किताब कॉपी आओर कलम पर राखी।

सकल परिवार आ सकल समाज मिली क’ माँ सरस्वती केँ आरती करी
जय सरस्वती माता,
मैया जय सरस्वती माता ।
सदगुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन विख्याता ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
चन्द्रवदनि पद्मासिनि,
द्युति मंगलकारी ।
सोहे शुभ हंस सवारी,
अतुल तेजधारी ॥
जय जय सरस्वती माता…॥

बाएं कर में वीणा,
दाएं कर माला ।
शीश मुकुट मणि सोहे,
गल मोतियन माला ॥
जय जय सरस्वती माता…॥

देवी शरण जो आए,
उनका उद्धार किया ।
पैठी मंथरा दासी,
रावण संहार किया ॥
जय जय सरस्वती माता…॥

विद्या ज्ञान प्रदायिनि,
ज्ञान प्रकाश भरो ।
मोह अज्ञान और तिमिर का,
जग से नाश करो ॥
जय जय सरस्वती माता…॥

धूप दीप फल मेवा,
माँ स्वीकार करो ।
ज्ञानचक्षु दे माता,
जग निस्तार करो ॥
॥ जय सरस्वती माता…॥

माँ सरस्वती की आरती,
जो कोई जन गावे ।
हितकारी सुखकारी,
ज्ञान भक्ति पावे ॥
जय जय सरस्वती माता…॥

जय सरस्वती माता,
जय जय सरस्वती माता ।
सदगुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन विख्याता ॥

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