“हमर मूँह कियो नहि जाबि सकैत अछि”- लेखानन्द झा
झारखण्डक सरकार मैथिलीकेँ द्वितीय राजभाषाक रूपमे मान्यता देलाक बादो अराजपत्रित कर्मचारीक प्रतियोगिता परीक्षामे आन क्षेत्रीय भाषाकेँ तँ सम्मिलित केने छल , मुदा मैथिलीकेँ बारि देने छल। झारखण्डक संस्था सभ सक्रिय भ ' गेल आ अपन-अपन क्षमताक संग सरकारक विरुद्ध आवाज उठौलक। व्यक्तिगत रूपेँ सेहो बहुत सक्रिय भेलाह ।
विश्वम्भर फॉउंडेशनक सचिव श्री नवीन कुमार झा , शिक्षक नेता ,मैथिली भाषाक लेल समर्पित अमरनाथ झा आ श्री किशोर झा 'मालवीय'क तत्परतासँ विश्वम्भर फाउंडेशन, राँचीक तत्वावधानमे आ हमर संयोजकत्वमे 'मन्थन' कार्यक्रम डा. विद्यानाथ झा 'विदित'क अध्यक्षतामे आयोजित भेलैक। राँचीक गणमान्य व्यक्ति ,संस्थासँ जुडल लोक , साहित्यकारक बेस उपस्थिति भेलैक। राँचीक विधायक सेहो छलाह।
समयकेँ ध्यान रखैत , पूर्वक वक्ताक वक्तव्यक पुनरावृति नहि हो , एहि हेतु हमर सविनय आग्रह होइत छल जे संक्षिप्तमे आगाँ कार्यक्रमक रूपरेखाक विषयमे कही । ई बात जखन हम विद्यापति स्मारक समितिक अध्यक्ष श्री लेखानन्द झा जीकेँ अनुरोध कैलिएनि , तँ माइकपर जोरसँ बजलाह - " हमर मूँह नहि जाबि सकै छी , हितनाथ जी। " आ धाराप्रवाह ओजस्विताक संग आगाँक कार्यक्रमक रूपरेखाक विषयमे विचार रखलनि । ओ अपन संस्थाक दिससँ सरकारक विरुद्ध मुकदमा सेहो दायर क 'चुकल छलाह ।
आइ जखन हिनक आकस्मिक निधनक विषयमे ज्ञात भेल तँ हठात ओ प्रसंग स्मरण भ ' आयल आ सोचय लगलहुँ हिनक मैथिलीक प्रति आजीवन समर्पण आ से अनवरत बिना वयस-बाधाक । ठीके, ईश्वर भलें अपनेकेँ अपना लग बजा लेलनि ,मुदा हमरा विश्वास अछि ,ओतौ यदि मैथिलीक विरोधी स्वर कनेको कानमे पड़त तँ अपनेकेँ ईश्वरो अपनेक मुँह नहि जाबि सकताह। अपने ओतौ अपन आन्दोलनी तेवर देखेबे करबैक ।
👏👏अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि 👏👏
हितनाथ झा