गौतम चौधरी
बहुत दिनसँ विवादमे रहल फिल्म ‘हमारे बराह’ केँ अन्ततः सिनेमाघर धरि पहुँचबाक लेल हरी झंडी भेटल। ओना एहि फिल्मक तीनटा महत्वपूर्ण संवाद बदलल गेल अछि, मुदा आब ई फिल्म दर्शक लेल तैयार अछि। फिल्मक निर्माताक दावा अछि जे एकरा महिला सशक्तिकरणक दृष्टिकोणसँ देखल जेबाक चाही, मुदा एकटा विशेष धर्मक समूहक आरोप अछि जे ई फिल्म इस्लामी मान्यताकेँ लक्षित कऽ बनाओल गेल अछि। जे होइ, फिलिम आब सिनेमाघरमे अछि।
फिल्मक कहानी एकटा प्रगतिशील मुस्लिम युवतीक कोर्टरूमसँ शुरू होइत अछि। ई फिल्म देशक कानून आ इस्लामी मान्यताक बीच गतिरोधकेँ स्पष्ट रूपसँ देखबैत अछि। एकटा पारंपरिक मुस्लिम परिवार में पहिनेसँ ११ टा बच्चा अछि। घरक मुखिया जे ६०क दशकमे छथि, अपन दोसर पत्नीसँ १२म बच्चा चाहैत छथि, जे हुनक आधा आयुक छथि। पत्नी गर्भवती छथि मुदा ओकर शारीरिक स्थिति बच्चाकेँ जन्म देबाक योग्य नहि अछि। चिकित्सकलोकनिक सुझाव अछि जे हुनका गर्भपात करयबाक चाही मुदा हुनक पति एकर लेल तैयार नहि छथि। ओ ओतए धर्मक दुहाई दैत छथि। फिल्मक पटकथा किछु एहने अछि। एम्हर घरक मुखियाक बेटी आगू आबि अपन सौतेली मायक संग अदालतमे जाइत अछि। फिल्म एहि इर्द-गिर्द घूमैत अछि।
ई फिल्म मुस्लिम समुदाय आ विद्वानक बीच चिन्ताक कारण बनि गेल अछि। मुस्लिम समुदाय एहि फिल्मसँ नाराज अछि। एहि मामिलाकेँ लऽ कऽ कतेको ठाम प्रदर्शन सेहो भऽ रहल अछि। हुनकर आरोप अछि जे एहि फिल्ममे इस्लामी शिक्षाकेँ नकारात्मक रूपसँ चित्रित कयल गेल अछि। फिल्मक आलोचकक तर्क छनि जे ई कुरान आ हदीसक शिक्षाकेँ नकारात्मक तरीकासँ प्रस्तुत करैत अछि। संगहि, मुसलमानसभकेँ प्रगतिवादक विरुद्ध वर्णित कयल गेल अछि, जखन कि एहन किछु नहि अछि।
फिल्ममे उठाओल गेल मुद्दा, जेना मुस्लिम महिलाक उत्पीड़न, जनसंख्या विस्फोट, पितृसत्ता आदिकेँ नीक तरीकासँ देखाओल गेल अछि। फिल्ममे इहो कहल गेल अछि जे मुस्लिम समाजमे महिला शिक्षाकेँ महत्व नहि देल जाइत अछि। एकरा एकटा समस्याक रूपमे चिन्हल गेल अछि। सच कहैत छी जे भारतीय मुस्लिम समाजमे एहन समस्या अछि, मुदा मूल इस्लामक वास्तविक रूप एहन नहि अछि। मूल इस्लाममे महिलाक लेल शिक्षित होयब अनिवार्य अछि। सामान्यतः कोनो सभ्यता या समूह तखन मजबूत होइत छैक जखन ओकर महिला सशक्त होइत छैक। महिला सभ तखन सशक्त होयत जखन ओ शिक्षित होयत। इस्लाम मे सेहो वैह अछि। जँ स्त्रीगण शिक्षित होयत तखन ओही महिला बादमे इस्लामक ताकत बनि जायत। एहि फिल्म पर हंगामा करबाक बदला मुस्लिम समुदायक विद्वान महिलासभकेँ आगू आबि अपन ज्ञान आ तर्कक उपयोग ओहि आख्यानक खण्डन करबाक चाही जे हुनक धर्मक विरुद्ध अछि। जँ कोनो प्रभावशाली वा शक्तिशाली पद धारण कयनिहार मुस्लिम महिला एहन करैत छथि तँ एकर प्रभाव दूरगामी होयत।
इस्लाम हिंसा सं नफरत करैत अछि। ई अपन अनुयायीसभसँ देशक कानूनक पालन करबाक लेल सेहो कहैत अछि। एहि मामिलामे लाभ कमाबय बला प्रोडक्शन हाउसक रणनीतिमे फँसि जयबाक बदला मुसलमानकेँ राजनीतिक कौशल देखयबाक चाही। फिल्मक विरुद्ध कानूनी लड़ाई सेहो लड़ल जा सकैत अछि। कोनो हिंसक दृष्टिकोण मात्र एहन कथाकेँ बढ़ावा देतनि आ समुदायकेँ नकारात्मक रूपसँ प्रस्तुत करत।
इस्लाम पुरुष आ महिला दुनू लेल शिक्षाकेँ बहुत महत्व दैत अछि। इस्लामक अंतिम नवी स्पष्ट रूपसँ कहलक अछि जे ज्ञान प्राप्त करब प्रत्येक मुसलमानक कर्तव्य अछि। श्अवर बराहश् सन फिल्म द्वारा उठाओल गेल मुद्दाक आलोकमे मुसलमानक लेल ई महत्वपूर्ण अछि जे ओ अपनाकेँ आ दोसरकेँ इस्लामक सही सिद्धान्तक विषयमे बताउ। एहि पर मीडिया अभियान सेहो चलायल जा सकैत अछि। गलत सूचना आ पूर्वाग्रहसँ निपटबाक लेल शिक्षा एकटा शक्तिशाली साधन अछि। अपन आस्थाक मूल मूल्यकेँ बुझि आ अभ्यास कऽ मुसलमान इस्लामक वास्तविक सार प्रदर्शित कऽ सकैत छथि। मुस्लिम समुदायकेँ रचनात्मक संवादमे संलग्न होयबाक चाही आ मीडियामे तर्कक सङ्ग गलत प्रस्तुतिक प्रतिकार करबाक चाही। एहि लड़ाईक बीच देशक लोकतांत्रिक संरचना आ कानूनक सम्मान करब सेहो आवश्यक अछि।
जे किछु हो, हिंसाक सहारा लेबाक बदला शान्तिपूर्ण आ वैध माध्यमसँ एहन आख्यानक प्रतिकार करब आ इस्लामी शिक्षाक सटीक समझकेँ बढ़ावा देबाक दिशामे काज करब आधुनिकताक मानदण्ड बनि गेल अछि। एहन स्थितिमे सड़कपर उतरबासँ नीक रहत जे कोर्टक दरवाजा खटखटाउ। एकर अतिरिक्त, महिला शिक्षाक समर्थन कऽ आ हुनक उपलब्धिकेँ समुदायक समक्ष बजबाक अनुमति दऽ कऽ मुसलमान अपन आस्थाक वास्तविक सिद्धान्तक प्रदर्शन कऽ सकैत छथि।