सीमा पासी
कखनहु-कखनहु राजनीति देखब दुखद होइत अछि। एक दिस हाथरस मे मरि चुकल गरीबक लाश पर प्रशासन पर पूरा जिम्मेदारी लगा कए विपक्ष राजनीति कऽ रहल अछि, दोसर दिस योगी सरकार आयोजक पर दोष लगा कए भागय चाहैत अछि। कोनो राजनीतिक दलमे बाबाक विरुद्ध गप्प करबाक साहस नहि अछि,” ओ कहलनि। बाबा एतेक भीड़ किएक जमा कऽ लोकसभकेँ चरण धूली लेबाक लेल उकसाबैत छलाह, ई प्रश्न कियो नहि पूछि रहल अछि।
दलित आ पिछड़ल समाज पर बाबाक नीक पकड़ अछि आ एतेक पैघ दुर्घटनाक बादो ई समाज बाबाकेँ दोषी नहि मानैत अछि, तेँ समाजवादी पार्टी, कांग्रेस आ भाजपाक नेता बाबा के खिलाफ बजबा लेल तैयार नहि छथि।
समाजवादी पार्टी आ कांग्रेसकेँ एहि चुनावमे दलित आ ओबीसीक नीक वोट भेटल अछि तेँ ओ ओकरा हाथसँ बाहर नहि जाय चाहैत छथि। दोसर दिस भाजपा एहि चुनाव मे दलित आ ओबीसी के समर्थन के कमी देखलक अछि, तेँ ओ सेहो उड़ा के कदम उठा रहल अछि। मायावती सेहो एहि मामलामे बाबाक विरुद्ध बजबासँ बचबाक प्रयास कऽ रहल छथि।
वास्तव मे कोनो समाज के क्रोधित कऽ राजनीति नहि कैल जा सकैत अछि, तेँ असली अपराधी बाबा के खिलाफ कार्रवाई के उम्मीद कम अछि। एहन बाबा, तांत्रिक, ओझा आ मौलवी दलित, आदिवासी आ पिछड़ा के अंधविश्वास के आन्हर इनार मे धकेलय के काज कऽ रहल छथि, मुदा राजनीतिक आ सामाजिक संरक्षण के कारण पुलिस आ प्रशासन हुनका सभ के खिलाफ कोनो कार्रवाई करय के हिम्मत जुटा नहि पाबि रहल अछि। सभ राजनीतिक दल आ सामाजिक संगठन चाहैत अछि जे सरकार मरनिहार के क्षतिपूर्ति दे, मुदा सवाल उठैत अछि जे सरकार हर दुर्घटना मे मरनिहार के मुआवजा दैत अछि मुदा जाहि कारण एतेक लोक के जान चलि गेल अछि, ई किएक छिपल अछि।
ओ एहि गरीब लोकक पैसासँ सैकड़ो करोड़क सम्पत्ति बनौने छथि, तखन जे मरि गेलाह हुनका एक करोड़ रुपयाक मुआवजा किएक नहि दैत छथि। बाबाक अंधविश्वासी भक्त बाबा सँ किएक नहि कहैत छथि जे अपन शक्ति सँ मरि गेल लोककेँ पुनर्जीवित करू आ घायलकेँ ठीक करू? जे दलित समुदायकेँ जागरूक करैत छथि ओ सेहो चुप छथि किएक तँ बाबा अपन समुदायक छथि।
ई एकटा घटना देखौलक अछि जे समाजक वास्तविक समस्यासँ अपन मुँह नुकाबय बला नीक लोक समाजक की कऽ सकैत अछि। ई समाज तखन धरि आरक्षणक संग आगू नहि बढ़य जा रहल अछि जाबत धरि भूत-प्रेत, जिन्न, चुड़ैल, जादू-टोना, सयान, बाबा, पीर, मौलवी आ खराब हवा सन रोगसँ मुक्ति नहि भेटत।
जँ कियो सचमुच समाजक भलाई चाहैत अछि तखन एहि घटनाक बाद अंधविश्वाससँ लड़बाक संकल्प लिअ आ आगू बढ़बाक निर्णय करू। जखन शरीरमे कोनो गंभीर रोग होयत अछि तखन किछु खाउ, किछु पीउ, शरीरकेँ बल नहि भेटैत अछि। दलित, आदिवासी आ पिछड़ाक उन्नतिक लेल पहिल शर्त ई अछि जे ओ एहि वृत्तसँ बाहर आबि जाय।
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