हजारीबाग़ : मैथिलीक पहिल सिनेमा ‘ममता गाबय गीत’क लेखक एवं निर्माता, प्रबोध साहित्य सम्मान, केदार सम्मान, झारखण्ड मैथिली मंच राँची द्वारा विदेह सम्मानसँ सम्मानित केदार नाथ चौधरीक जन्म दरभंगा जिलाक नेहरा गाममे 03.01.1936 क’ किशोरी चौधरीक पुत्रक रूपमे भेल छलनि ।
अर्थशास्त्रमे स्नातकोत्तर , लॉ एवं पुनः अर्थशास्त्रेमे कैलिफोर्निया विश्वविद्यालयसँ स्नातकोत्तर , यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिकासँ एम.बी.ए. कैलाक बाद भारत वापस । पुनः तेहरान आ फ्रेंकफर्टमे कार्यरत । सेवाक उपरान्त दरभंगा निवास कयलनि ।
प्रतिभा सम्पन्न केदार नाथ चौधरीक रुचि साहित्य दिस छलनि आ जखन लिखब प्रारम्भ कयलनि तँ निरन्तरताक संग मैथिलीमे छह उपन्यास हिनक नामसँ जुड़ि गेल । चमेली रानी (2004), करार(2006) , माहुर 2008), आबारा नहितन (2012) , हीना(2013)एवं अयना(2018)। एतय ई कहब अतिशयोक्ति नहि होयत जे हिनक किछु उपन्यास सभक कैक संस्करण भेलनि, जे मैथिली साहित्यमे बहुत कम लेखककेँ ई सौभाग्य प्राप्त छनि ।
चमेली रानीक विषयमे एक ठाम शिवशंकर श्रीनिवास कहैत छथि – ‘उपन्यास आजुक भ्रष्ट शासन तन्त्र ओ जनताक कोमल मानसिकतापर ओकर प्रभावकेँ स्पष्ट रूपें स्पष्ट करैत आजुक समयक भयावहतासँ परिचय करबैत छथि जे महत्वपूर्ण अछि ।”
‘करार’ क’ विषयवस्तुक विषयमे कथाकार अशोक कहैत छथि -‘करार भूत-प्रेत ,प्रेतयोनिसँ मुक्ति , ईश्वरीय सत्ताक जयघोष, तंत्र-मन्त्रमे आस्थासँ भरल उपन्यास थिक। दरभंगामे आयल बाढ़िसँ शुरू भेल ई उपन्यास एक मृत व्यक्तिक अपन जीवन कथाकेँ अमर बनेबाक लालसापर अन्त होइत अछि। उपन्यासकारक मनोरथ छनि जे पाठक एकरा रुचिसँ एकरा पढ़थि ,चर्च करथि । से पाठक सभ उपन्यास पढ़लनि अछि। “
माहुर जे केदार नाथ चौधरीक तेसर उपन्यास छनि ,ओकर विषयमे कामेश्वर चौधरी कहैत छथि – चमेली रानीक कथानक ,भाषा-विन्यास एवं विशिष्ट शैली पढ़बाक बादे एकर लोकप्रियताक कारणक पता चलत । ओही क्रममे हिनक तेसर पोथी माहुर छल जे चमेली रानीक कथानककेँ आगाँ बढ़ौलक। “
हीनक विषयमे समीक्षक डा. आभा झाक मानब छनि -‘हीनामे सहज प्रेमक रंग,निश्छल त्यागक सुवास,सौन्दर्यक विलक्षणता आ सकारात्मकताक तिलिया-फुलिया अछि आ एतेक गुणक कारण सहृदय पाठक लेल सुग्राह्य अछि । ”
‘आबारा नहितन’ पढ़ि राम लोचन ठाकुर जे कहलनि – ‘आबारा नहितन’ एक आबाराक कथा गाथा थिक। अद्भुत,अभिनव , अविस्मरणीय, कथा-गाथा ! अफसोच जे मिथिला-मैथिलीमे एहन आबारा दोसर नहि भेल ।जँ दस -बीसो टा एहन आबारा भेल रहैत त’ निश्चिते आइ मिथिला-मैथिलीक दोसर रूप रहितैक । ई आबारा थिका अपन प्रिय बंधु महंथ मदन मोहन दासक संग केदार नाथ चौधरी ।”
अयना उपन्यासक निष्कर्षपर हमर कहब अछि – ” मिथिलाक सामाजिक -आर्थिक -साहित्यिक-सांस्कृतिक व्यथा-कथा,प्रेम-अनुराग-विरागक सचित्र-चित्रण, ह्रास होइत सभ्यता -सांस्कृतिक इतिवृत्ति ,हाहाकार करैत जीवनक मर्मस्पर्शी कथाक वर्णन एहि उपन्यासमे अछि, जाहिमे कोनो कृत्रिमता नहि अछि, कारण उपन्यासकार लेखनीक अपन निजता छनि, विशिष्टता छनि, कथ्य आ तथ्यक प्रचुरता छनि ,कल-कल बहैत नदीक जलधाराक सदृश भाषाक प्रवाह छनि ,पाठककेँ अपना दिस आकर्षित करबाक पूर्ण क्षमता छनि ।”
केदार नाथ चौधरीपर लिखैत प्रो.भीमनाथ झा “तोर सदृश एक तोहि माधव”मे कहलनि अछि -‘ जाहि वयसमे आबि गेल छथि ताहिमे लेखन कार्य शिथिल पड़ि जाएब स्वाभाविके थिक। किन्तु , हिनक चेतना, स्मृति, उत्कंठा आ ऊर्जा पूर्ववत कायम छनि ।भने शारीरिक गति मन्द पड़ि गेल होउन, किन्तु सारस्वत मति स्वच्छन्द विचरण करबा लेल तत्पर छनिहें ।जतबा आ जेहेन साहित्य जथा ई दs देने छथि ,ततबोसँ हिनक नामक पतक्खा फहराइत रहतनि ।”
केदार नाथ चौधरीक निधन करीब अठासी वर्षक आयुमे 02/04/2024 क’ भेलनि । शरीर भले अग्निमे विलीन भ’ गेलनि किन्तु हिनक यश मिथिलामे सभ दिन लेल रहि जेतनि ।
विदेह पत्रिकाक 352 म अंक (15अगस्त2022)केदार नाथ चौधरी पर केन्द्रित छनि जे www. videha.co.in पर पढ़ल जा सकैछ।
विनम्र श्रद्धांजलि
हितनाथ झा
हजारीबाग